darawni bhoot ki kahani : कर्ण पिशाचिनी - horror story 2024

कर्ण पिशाचिनी, एक darawni bhoot ki kahani है, इस स्टोरी का मुख्य पात्र अनिकेत है जिसकी एक गलती की वजह से एक कर्ण पिशाचिनी मोत के घाट उतार देती है।


darawni bhoot ki kahani: कर्ण पिशाचिनी- horror story 2024


यह darawni bhoot ki kahani, अनिकेत नाम के एक टैक्सी ड्राइवर की है, अनिकेत का जीवन पूरी तरह परेशानियों में चल रहा है । वह अपने जीवन से थक चुका था परंतु अचानक उसे एक दिन रास्ते में, एक अघोरी मिलता है जो उसे कुछ काली सिद्धिया देता है । कुछ दिनों के लिए अनिकेत उस काली सिद्धि से ढेर सारे पैसे, इज्जत शोहरत कमाता है परंतु कुछ ही दिनों में वह काली सिद्धी वाली पिशाचिनी, अनिकेत के जान के पीछे पड़ जाती है । इसके बाद अनिकेत के साथ, वह कर्ण पिशाचिनी कुछ ऐसी करती है जिससे अनिकेत का रूह काप जाता है । 


darawni bhoot ki kahani : कर्ण पिशाचिनी
कर्ण पिशाचिनी: haunted Horror story


हर दिन की तरह अनिकेत अपना टैक्सी निकाल कर, शहर की तरफ जाने लगता है । काफी देर तक शहर में घूमने के बावजूद भी उसे, कोई सवारी नहीं मिलता है । तभी उसे एक अघोरी रुकने का इशारा करता है । अनिकेत जब उस अघोरी के पास रुकता है तो, वह अघोरी उससे कहता हैं, बेटा शमशान घाट चलोगे । जिस पर अनिकेत कहता है जरूर क्यों नहीं । जिसके बाद अघोरी कहता है, परंतु बेटा मेरे पास रुपए नहीं है । अघोरी के इस बात को सुनने के बाद अनिकेत कुछ देर के लिए पूरी तरह शांत हो जाता है । इसके कुछ देर के बाद वह कहता है, चलो कोई ना मैं आपको फ्री में ही शमशान घाट छोड़ दूंगा । इतना कहकर वह उस अघोरी को अपने टैक्सी में बैठा लेता है । वह अघोरी एक बात नोटिस करता है, अनिकेत काफी दुखी होता है साथ ही उसके चेहरे पर परेशानियों के झुरिया साफ-साफ नजर पड़ रही होती है ‌। इसके बाद वह अघोरी अनिकेत से कहता है, क्या हुआ बेटा इतने उदास क्यों हो ।जिस पर अनिकेत कहता है, क्या बताऊं बाबा, जीवन पूरी तरह से परेशानि में चल रही है । पहले मैं सोचता था जीवन में अचानक कहीं से पैसे आ जाएंगे और मौज मस्ती से जीवन कटेगा ‌। परंतु जीवन मेरे मौज मस्ती तो छोड़ो, सुख चैन भी नहीं है । इतना सब सुनने के बाद, वह अघोरी कुछ अपने मन में सोचने लगता है, इसके बाद वह अघोरी अनिकेत से कहता है । तुम्हारे इस समस्या का निदान मेरे पास है। अघोरी की इस बात पर अनिकेत ठहाके मार के हंसने लगता है और कहता है बाबा आप मुझे दे ही क्या सकते हैं जिससे मेरी यह सारी परेशानी खत्म हो सकती है । अनिकेत जैसे ही इतना बात कहता है । वह अघोरी अनिकेत से कहने लगता है, अगर तुम्हारे अंदर हिम्मत होगी तो, मैं तुम्हें ऐसी सिद्धि दूंगा । जिससे तुम्हारी यह सारी परेशानी खत्म हो जाएगी । जिस पर अनिकेत कहता है, हिम्मत तो मेरे अंदर कूट-कूट कर भरी हुई है । अनिकेत का यह जवाब सुनने के बाद, वह अघोरी कहता है चलो ठीक है तो अमावस्या के दिन मध्य रात्रि में तुम मुझे इसी श्मशान घाट में मिलना । वे लोग इतना बातचीत कर ही रहे होते तभी शमशान घाट आ जाता है ‌‌। वह अघोरी उस टैक्सी से उतर जाता है और अनिकेत की ओर देखते हुए कहता है, मैं तुम्हारा अमावस्या के दिन इसी शमशान घाट में इंतजार करूंगा । श्मशान घाट का वह नजारा देखने के बाद अनिकेत को थोड़ा, भय लगने लगता है क्योंकि श्मशान घाट के चारों ओर, लाशे जल रही होती है और साथ ही अंधेरे में कुत्ते भोक रहे होते हैं जिससे वह जगह देखने में और ज्यादा डरावना लग रहा होता है । 

उस अघोरी के कहे अनुसार, अनिकेत ठीक अमावस्या के मध्य रात्रि में, उस शमशान में आ जाता है। अनिकेत देखता है, उस श्मशान घाट के अंदर, लाशे धड़क-धड़क कर जल रही होती है और कुत्ते अंधेरी में चारों तरफ और भोक रहे होते हैं । अनिकेत का नजर जैसे ही, अघोरी पर पड़ता है, वह पूरी तरह से शौक रह जाता है, क्योंकि वह उस श्मशान घाट में जलती लाशों के बगल में बैठा होता है वह धीरे-धीरे उस अघोरी की तरफ जाने लगता है । वह जैसे ही, उस अघोरी के पास जाता है । वह अघोरी अनिकेत को, अपने कपड़े उतारने के लिए कहता है थोड़ी देर में अनिकेत अपने पूरे कपड़े उतार देते हैं, वह पूरी तरह से अर्धनग्न अवस्था में आ गया है । वह अघोरी पहले से ही, उस जगह पर काला जादू करने के लिए दो-तीन गोले बनाए होता हैं । दूसरी तरफ अनिकेत को उस जगह पर, भय लगना शुरू हो जाता है । तभी वह अघोरी अनिकेत को कहता है, डरो मत मैं तुम्हारे साथ हूं और एक बात याद रखना, जब तक यह काली सिद्धि समाप्त न हो, तुम अपने स्थान से उठाना मत और मेरे बनाए रेखा‌‌ से बाहर मत निकलना । इतना कहने के बाद, वह अपना काला सिद्धि करना शुरू कर देता है । अनिकेत भी उस साधना में पूरी तरह लिन हो जाता है । तभी अचानक अनिकेत हो अंधेरे से कुछ आहट आने लगती है वह देखता है, अंधेरे से एक काफी सुंदर कन्या बाहर निकलकर आ रही है । तभी वह अघोरी आंख खोलता है और पास में रखें माला को उस कन्या को पहनने के लिए अनिकेत को कहता है । ( वह कन्या और कोई नहीं बल्कि कर्ण पिशाचिनी होती है )
वह माला पूरी तरह से इंसानी हड्डियों से बना होता है, अनिकेत उस कर्ण पिशाचिनी को, माला पहनाने ही वाला होता है, इससे पहले ही कर्ण पिशाचिनी, अनिकेत को रोक देती है और कहती है पहले तुम मुझे दो वचन दो, तभी मैं यह माल पहनूंगी । अनिकेत उस कर्ण पिशाचिनी की सुंदरता देख, पूरी तरह से मोहित हो गया था और बिना कुछ सोचे समझे उसे वचन देने के लिए हामी भर देता है । वह कर्ण पिशाचिनी पहले वचन में मागती है । मुझे वचन दो, आज के बाद तुम मेरे सिवा किसी ओर औरत के साथ संभोग नहीं करोगे । जिस पर अनिकेत कहता है वचन मंजूर है । दूसरी वचन में वह कहती है, आज के बाद तुम मेरे एक भी बात को अनसुना नहीं करोगे इस वचन पर भी अनिकेत अपना हामी भर देता है । इसके बाद अनिकेत उस हड्डियों की माला को, कर्ण पिशाचिनी को पहना देता है ‌। इसके बाद वह कर्ण पिशाचिनी हवा में अपने हाथ को घूमाती है और अचानक उसके हाथ में एक वैसा ही माल आ जाता है, जिसे वह अनिकेत के गले में डाल देता है । इसके बाद वह काली सिद्धि पूरी तरह से पूर्ण हो जाती है ।‌ वह अघोरी उन लोगों को वहां से जाने के लिए कहता है । 



अनिकेत उस श्मशान घाट से, थोड़ी दूर आगे निकल ही होता है तभी, उसको वह कर्ण पिशाचिनी गाड़ी रोकने का इशारा करती है । अनिकेत हाईवे के ऊपर, अपने टैक्सी को रोक देता है । जिसके बाद, वह बाहर निकलकर थोड़ी ताजी हवा लेने लगता है । तभी एक लग्जरी गाड़ी उसके सामने आकर रुक जाती है । उस गाड़ी का ड्राइवर, अनिकेत से पूछने लगता है, भेरवगढ़ जाने का रास्ता कौन सा है, अनिकेत कुछ कह पाता, इससे पहले ही वह कर्ण पिशाचिनी, अनिकेत के कानों में, कुछ कहने लगती है । इसके बाद अनिकेत उस ड्राइवर को कहता है, तुम्हारे गाड़ी में जो, मंत्री साहब बैठे हैं उन्हें बता दो आज वे वापस चल जाए । वरना उनकी मौत फिक्स है । गाड़ी में बैठा मंत्री अनिकेत के बातों को सीरियस नहीं लेता है, परंतु मंत्री की पत्नी, मंत्री से कहने लगती है सुनो जी, आप सुबह से ही मेरी दाईं आंख फरक रही है । ईतना बात सुनने के बाद, मंत्री भी अपने इरादे को बदल देता है और अपना गाड़ी एक बार फिर से अपने घर की तरफ मोड़ने का इशारा अपने ड्राइवर को देता है । घर पर आने के बाद वह मंत्री जैसे ही अपने टीवी को खोलता है, वह देखता है वे लोग जिस ट्रेन से जाने वाले थे, उसका काफी भयंकर तरीके से एक्सीडेंट हो गया होता है जिसमें काफी लोग मारे गए होते हैं । इस खबर को देखने के बाद वह मंत्री काफी आश्चर्यचकित रह जाता है। दूसरी तरफ अनिकेत जब अपने घर पर जाता है तो, उसकी पत्नी भी पूरी तरह से आश्चर्यचकित रह जाती है क्योंकि अनिकेत के हाथों में एक थैला होता है, जिसमें दारू की बोतल और मुर्गा का मांस होता है साथ ही वह नोटिस करती है कि, अनिकेत आज काफी गुस्से में होता है आज से पहले उसने अंकित को इतना गुस्से में कभी नहीं देखी थी । अनिकेत की पत्नी, लक्ष्मी जब उसे खाना देने के लिए जाती है तो, पहले तो अनिकेत उसके तरफ गुस्से से देखता है, इसके बाद एक जोर का चांटा लक्ष्मी को वह मरता है । लक्ष्मी कुछ समझ नहीं पाती है आखिर एक दिन में अनिकेत इतना कैसे बदल सकता है। वह समझ चुकी थी, अनिकेत के साथ कुछ जरूर हुआ है जिससे वह इतना गुस्से में है । 

सुबह की पहली किरण के साथ ही, कोई अनिकेत के दरवाजे को खटखटाता है, अनिकेत जैसे ही अपना दरवाजा खोलना है, वह देखता है उसके दरवाजे पर कुछ पुलिस वाले खड़े होते हैं । जिसे देखने के बाद, वह थोड़ी देर के लिए घबरा जाता है परंतु अचानक उन पुलिस वालों के पीछे से, वह मंत्री अंकित के घर के अंदर आने लगता है । वह मंत्री अपने साथ में एक पैसों से भरा बैग लाया होता है ।‌ पहले तो वह मंत्री कुछ देर अनिकेत से बातचीत करता है और अचानक वह अनिकेत के पैरों में गिर जाता है और उससे कहने लगता है । बाबा आपकी वजह से ही आज मेरा परिवार बचा है आप नहीं होते तो आज मेरा परिवार खत्म हो गया होता । दूर खड़ी अंकित की पत्नी लक्ष्मी, यह सारी चीजे देख रही होती है । तभी लक्ष्मी को ध्यान, अपने घर में लगे शीशे के उपर जाती है । जिसे देखने के बाद, वह पूरी तरह से शोक रह जाती है क्योंकि शीशे में साफ-साफ अनिकेत के पीछे खड़ी, वह पिशाचिनी दिखाई दे रही होती है । वह कर्ण पिशाचिनी अनिकेत के कानों में कुछ कहती है जिसके बाद अनिकेत उस मंत्री को कहता है, यह तो कुछ भी नहीं, आज तुम्हें अपने कैबिनेट मीटिंग के लिए जा सकते हो आज तुम्हें कैबिनेट में, होम मिनिस्ट्री का विभाग मिलने वाला है इतना सुनने के बाद वह मंत्री थोड़ी देर के लिए पूरी तरह से शांत हो जाता है । इसके बाद वह मंत्री, अनिकेत को कहता है आपको कैसे पता बाबा, कैबिनेट के मीटिंग में मुझे जाना है, जिस पर अनिकेत कहता है मुझे सब पता है आगे का भी पीछे का भी । 

अनिकेत इसी प्रकार से उस कर्ण पिशाचिनी के मदद से, काफी लोगों का भविष्य बता कर, ढेर सारे पैसे, शोहरत कमाता है । अचानक इतने सारे पैसे आने के कारण, अनिकेत में अंदर, धीरे-धीरे घमंड आने लगता है। वह लोगों से भी काफी गुस्से में बात करने लगता है साथ ही अपने घर में पड़े सभी देवी देवताओं की मूर्तियां बाहर निकाल देता है और काले कपड़े और काले चंदन करने लगता है । 


यह हांटेड होरर स्टोरी भी जरूर पढ़ें  :  शैतानी सिद्धि 


हर रोज की तरह अनिकेत के घर में काफी सारे लोग, अपना भविष्य जानने के लिए आए होते हैं । अनिकेत के कानों में, वह कर्ण पिशाचिनी कुछ कहती है, जिसके बाद अनिकेत वहां पर बैठे एक लड़के को अपने तरफ बुलाता है और उसे उसका भविष्य बताने लगता है । उस लड़के के भविष्य बताने के बाद, अनिकेत घमंड के कारण सभी को कल आने के लिए कहता है । जिस पर वह कर्ण पिशाचिनी उसके कानों में कुछ कह रही होती है तभी अनिकेत, उसे भी अपनी बातों को बंद करने के लिए कहता है । अनिकेत जैसे ही कर्ण पिशाचिनी को अपने बातों को रोकने के लिए कहता है, वह पूरी तरह से गुस्से हो जाती है और अपने असली रूप में आ जाती है । जिसे देखने के बाद, अनिकेत के होश उड़ जाते हैं वह कर्ण पिशाचिनी अंकित को कहने लगती है, मूर्ख आदमी तुमने अपने घमंड के कारण, मेरे वचनों को तोड़े हो । इसकी सजा तुम्हें जरूर मिलेगी, इतना कहने के बाद वह कर्ण पिशाचिनी जोर-जोर से हंसने लगती है । अनिकेत के कानों में, उस कर्ण पिशाचिनी की आवाज, सुई की तरह चुभने लगती है। अनिकेत पूरी तरह से, अपने दोनों हाथों से, अपने कानों को बंद कर लेता है परंतु फिर भी उस कर्ण पिशाचिनी की आवाज, उसके हाथों को भेदते हुए, उसके कानों में जा रही होती है थोड़ी देर में ही अनिकेत के कान से खून आने लगती है और वह वहीं पर बेहोश हो जाता है ।
अंकित के पत्नी लक्ष्मी को, यह बात पहले ही पता था इसलिए उसने पहले से ही उस अघोरी को अपने घर पर बुला लाई होता है । अनिकेत और उसकी पत्नी उस अघोरी के चरणों में गिर जाते हैं और उस कर्ण पिशाचिनी को उन लोगों से दूर करने के लिए कहती है ।‌ वह अघोरी अनिकेत से कहने लगता है, अब तुम्हे धन, दौलत,शोहरत नहीं चाहिए जिस पर अनिकेत कहता है नहीं बाबा मुझे ऐसे धन,दौलत, शोहरत की कोई जरूरत नहीं है । जिस पर वह अघोरी अनिकेत को कहने लगता है तुम मिडिल क्लास लोग होते ही ऐसे हो, तुम्हें हर चीज अचानक चाहिए ।

इतना कहने के बाद वह अघोरी, एक बार फिर से काला जादू करने के लिए वहां पर हवन कुंड बनाने लगता है, और घर के अंदर ही कुछ मंत्रों का जाप करने लगता है । थोड़ी देर में ही, वह कर्ण पिशाचिनी, उन लोगों के सामने प्रकट हो जाती है । वह कर्ण पिशाचिनी बार-बार एक ही बात को दोहरा रही होती है । तुमने मेरे वचन को तोड़ा है । इसकी सजा तुम्हें सिर्फ और सिर्फ मौत मिलेगी । कर्ण पिशाचिनी के इस बात से अनिकेत और उसकी पत्नी लक्ष्मी, पूरी तरह से भयभीत हो गई होती है । वह कर्ण पिशाचिनी कई बार अंकित की तरफ आने की कोशिश करती है परंतु उस अघोरी ने एक रेखा बनाया होता है,जिसके अंदर वह कर्ण पिशाचिनी चाह कर भी नहीं आ पा रही होती है । थोड़ी देर में वह अघोरी उस हवन कुंड से, कुछ भभूत निकालता है, और घर के चारों तरफ छिटने लगता है ‌। थोड़ी देर में ही, वह कर्ण पिशाचिनी उस भभूत के परने के कारण, तड़पने लगती है । इसके थोड़ी देर के बाद ही, वह कर्ण पिशाचनी हवा में राख बनकर भस्म हो जाती है । 





कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.