daravani horror story 2024 : ब्रह्मराक्षस

ब्रह्मराक्षस: रहस्यो से भरपूर एक daravani horror story है ।‌ इस कहानी का मुख्य पात्र आयुष है जिसे ब्रह्मराक्षस एक गलती की वजह से मौत के घाट उतार देता है ।

daravani horror story 2024 : ब्रह्मराक्षस


ब्रह्मराक्षस: एक daravani horror story : रात के सन्नाटे में, आयुष सुनसान सड़क पर एक औरत और बच्चे से मिलता हैं, जो लिफ्ट मांग रहे होते हैं। आयुष जानता है कि ये शैतानी आत्माएं हैं और उन्हें कुचलकर वह आगे बढ़ जाता है। पीपल के पेड़ के पास, वह ब्रह्मराक्षस को प्रसन्न करने के लिए बलि देता है, वह सोचता है इससे धान की प्राप्ति होगी परंतु, होता बिल्कुल विपरीत है क्योंकि ब्रह्मराक्षस आयुष के जान के पीछे पड़ जाता है किसी डरावनी हॉरर स्टोरी की तरह  ।



daravani horror story 2024 : ब्रह्मराक्षस
daravani horror story 2024 : ब्रह्मराक्षस


रात के सन्नाटे में, सुनसान रोड से‌, आयुष अपने कार से कहीं जा रहा होता है । तभी उस सुनसान रोड पर, उसे एक औरत और बच्चा दिखाई देता है ।‌ वह औरत और बच्चा धीरे-धीरे सड़क के बीचों-बीच आ जाती है और आयुष को, लिफ्ट देने का इशारा कर रही होती है । परंतु हैरानी की बात यह होती है कि,आयुष अपने गाड़ी को नहीं रोकता है और उन लोगों को कुचलकर आगे बढ़ने लगता है । आयुष के गाड़ी के शीशे के ऊपर, ढेर सारा खुन लगा होता है । उन दोनों को कुचलने के बाद भी, आयुष के चेहरे पर किसी प्रकार का कोई भी पछतावे का लकीर नहीं होता है । क्योंकि उसे पता होता है, इस सुनसान रास्ते पर वह कोई आदमी नहीं था बल्कि कोई शैतानी आत्माएं थी । जो लोगों को लिफ्ट देने के बहाने रोकती है और उन लोगों को मौत के घाट उतार देती है ‌ आयुष इस बात को सोचते हुए आगे बढ़ रहा होता है, तभी वह देखता है किसी रहस्माई चीज की तरह वह खून अचानक उसके शीशे से गायब हो जाती है और जब वह पीछे मुड़कर देखता है तो वह औरत और बच्चा भी, रोड के किनारे खड़े होते है । वे लोग आयुष की गाड़ी की तरफ, अपनी शैतानी आंखों से गुस्से से देख रहे होते है । आयुष अब पूरी तरह से कंफर्म हो गया था कि, वे लोग कुछ और नहीं, बल्कि शैतानी आत्माएं है, जो इस अमावस्या के रात में, लोगों का शिकार करने के लिए टहल रही है ।



थोड़ी दूर आगे जाने के बाद आयुष जंगल के बीचो-बीच, एक पीपल के पेड़ के पास, अपने गाड़ी को रोक देता है और अपने गाड़ी के डिक्की को खोलने लगता है ।‌ गाड़ी के डिक्की के अंदर, एक बकरी का बच्चा और एक मुर्गा होता है । जिसे वह अपने साथ लेकर उस पीपल के पेड़ के तरफ जाने लगता है । आयुष जब उस पेड़ के करीब पहुंच जाता है तो वह अपना सिर ऊपर की तरफ उठता है और एक बार, उस पीपल के पेड़ को गौर से देखता है । उसे पेड़ को देखने के बाद, आयुष अपने मन में कहने लगता है, इसी पेड़ कि तो, मुझे जरूरत था । इसका आधा भाग सूखा हुआ है, इसका मतलब है इस पीपल के पेड़ पर ब्रह्मराक्षस रहता है। इतना कहने के बाद वह उस पीपल के पेड़ के पास थोड़ा साफ सफाई करता है । जिसके बाद, अपने पैकेट से दो शराब का बोतल निकलता है, और उस पीपल के पेड़ के पास रख देता है । आयुष अपने साथ एक झोले में ब्रह्मराक्षस का भयावह दिखने वाला मूर्ति भी लाया होता है । जिसे वह उस पीपल के पेड़ के पास रख देता है । इतना सब करने के बाद आयुष, अचानक अपने पास से एक धारदार चाकू निकालता है और उस बकरी के बच्चे को वहां पर बलि देने लगता है आयुष कई बार उस बकरी के बच्चे, के गर्दन पर वार करता है । थोड़ी देर में ही उसका सर धर से अलग हो जाता है । जिसके बाद वह उस मुर्गे का भी सर दर्द से अलग कर देता है और उसके खून को, उस ब्रह्मराक्षस के भयावह मूर्ति पर चढ़ाने लगता है ।


बलि देने के बाद आयुष, पीपल के पेड़ की तरफ सिर करके खड़ा हो जाता है और जोर-जोर से उस पीपल की ओर घूम कर कहने लगता है, ब्रह्मराक्षस आप मेरा यह बली स्वीकार कीजिए और मेरे ऊपर धनो की बारिश कीजिए ।‌ इतना कहने के बाद, आयुष अपने गाड़ी की तरफ वापस आने लगता है, तभी अचानक उसके पीछे से एक आवाज आती है आयुष, तुम यह सब अपना ले जाओ। आयुष के कानों में, यह बात कई बार गुजता है परंतु, इस बात को इग्नोर करते हुए, वह गाड़ी में बैठ जाता है और अपने फोन से, अपने बिजनेस पार्टनर विजय से बातें करने लगता है और कहता है, तुमने जो भी मुझे कहा था मैंने उसे पूरा कर दिया । इतना कहने के बाद विजय, आयुष को कहता है बस आज के बाद देखना दोस्त, तुम्हारे घर में धन की बारिश होने लगेगी ।‌ इतना कहने के बाद विजय कॉल को डिस्कनेक्ट कर देता है । आयुष भी अब अपने घर की तरफ जाने लगता है । आयुष को उस सुनसान रास्ते से, घर आने काफी डर लग रहा होता है । गाड़ी के अंदर AC चल रहा होता है परंतु, फिर भी उसके पसीने छूट रहे होते हैं । आयुष जैसे तैसे करके अपने घर पहुंचता है ।


दूसरी तरफ, उस मुर्गे और बकरे के मांस के दुर्गंध के कारण, जंगल के जंगली जानवर उसके तरफ खिंचे चले आते हैं । वे जंगली जानवर उस मांस को खाने ही वाले होते हैं, तभी अचानक मध्य रात्रि हो जाती है और अमावस्या पूरी तरह से चांद में साफ-साफ दिखाई देने लगती है । इसके बाद वे सारे जानवर, उस मांस को छोड़, अचानक धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं क्योंकि, वहां पर ब्रह्मराक्षस प्रकट हो गया था जो काफी गुस्से मे होता है । ऐसा लग रहा था मानो उसे ब्रह्म राक्षस को वह भेड़ स्वीकार नहीं है वह गुस्से में, अजीबो गरीब आवाज निकल रहा होता है । ब्रह्मराक्षस गुस्से में काफी जोर से चिखने लगता है, ब्रह्मराक्षस का वह आवाज जंगल में गुंजने लगता है । उस आवाज की तीव्रता, इतनी अधिक होती है कि, एक खिड़की का शीशा भी टूट जाता है । वह शिशा वहां पर सो रहे, आदमी के ऊपर गिरता है, वह आदमी और कोई नहीं बल्कि, आयुष होता है ।‌ आयुष जब उठकर देखता है तो, वह पूरी तरह से हैरान रह जाता है क्योंकि, उस खिड़की का शीशा सिर्फ उसके ऊपर ही गिरा होता है उसके बगल में ही, उसकी पत्नी सो रही होती है परंतु उस शीशे का, एक छोटा सा कण भी, उसके पत्नी के शरीर के ऊपर नहीं गिरा होता है ।


इस घटना के बाद, आयुष और उसकी पत्नी थोड़े देर के लिए आश्चर्यचकित होते है परंतु, थोड़ी देर के बाद ही, सोने के लिए, वे लोग दूसरे रूम के अंदर चले जाते है । आयुष ठीक से सोया भी नहीं होता है कि, एक आहट के कारण उसकी नींद खुल जाती है । वह देखता है उसका दरवाजा अपने आप धीरे-धीरे खुल रहा होता है, और अचानक उस दरवाजे पर वह मुर्गा और बकरी का बच्चा आ जाता है । जिसे देखने के बाद वह पूरी तरह से शौक हो जाता है । आयुष के शरीर के अंदर, डर का एक सिहरन दौड़ जाता है । क्योंकि जिस चीज की बली, उसने अपने हाथों से दिया था, वह जिंदा उसके दरवाजे पर खड़ा होता है । आयुष धीरे-धीरे अपने बिस्तर से उठकर, गेट की तरफ जाने लगता है तभी अचानक, वह मुर्गा और बकरी उसके ऊपर अटैक कर देता है, और उसके चमड़े को बुरी तरह से और खींचने लगता है । आयुष दर्द के कारण चिखने चिल्लाने लगता है । उस आवाज को सुनने के बाद, जब उसकी पत्नी उठती है तो, वह देखती है, आयुष पूरी तरह से लहू लुहान होता है, इसके बाद आयुष की पत्नी उसे अस्पताल ले जाती है । परंतु अचानक आयुष हॉस्पिटल से कहीं गायब हो जाता है ।

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तभी काफी देर के बाद हम देखते हैं, आयुष अपने बिजनेस पार्टनर विजय के पास गया होता है । आयुष विजय से कहने लगता है, तुमने मुझसे यह कौन सी सिद्धि करवा दि । जिससे ब्रह्मराक्षस मेरे प्राण के पीछे पड़ा हुआ है । इतना सब सुनने के बाद, विजय ठहाके मार के हंसने लगता है और कहने लगता है मूर्ख आदमी, तुम्हें यह भी नहीं पता है, ब्रह्मराक्षस ब्रह्मकुल से है और वह मांस व शराब से दूर रहता है । तुमने उसे मांस और शराब चढ़ाया है, वह भी अमावस्या के दिन । वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा । इतना सुनने के बाद आयुष, विजय से कहने लगता है पर तुमने ही तो कहा था ब्रह्मराक्षस को अमावस्या के दिन बलि देने से धन की वर्षा होने लगती है ।


जिस पर विजय, आयुष से कहता है, मैं तो तुम्हें अपने रास्ते से हटाना चाहता था क्योंकि मैं अकेला इस कंपनी का मालिक बनना चाहता हूं ।‌ इतना सब सुनने के बाद, आयुष, विजय के ऊपर काफी गुस्सा होता है परंतु वह उसे कुछ नहीं कर पता है ।‌ एक बार फिर से विजय अपना गाड़ी स्टार्ट करता है और उस सुनसान रास्ते से होते हुए, उस पीपल के पेड़ के पास जाने लगता है । उस पीपल के पेड़ के पास जाने के बाद, आयुष बच्चों की तरह दहाके मार कर रोने लगता है और वहां पर रखे मांस और शराब को जल्दबाजी में हटाने लगता है । आयुष ब्रह्मराक्षस से अपने जीवन का भीख मांग रहा होता है ।‌


दूसरी तरफ विजय को, एक कॉल आता है और उसे बताया जाता है ।‌ आपके बिजनेस पार्टनर आयुष की, रुद्रपुर के जंगल में लाश मिली है । आप प्लीज लाश की सनागत (पहचान) करने के लिए आ जाईए । इतना सब सुनने के बाद विजय फोन पर रोने लगता है परंतु जैसे ही फोन डिस्कनेक्ट होता है वह एक बार फिर से ठहाके मारकर हंसने लगता है ।


विजय खुशी खुशी अपने गाड़ी को निकलता है, और उस जंगल की तरफ जाने लगता है । विजय को उस रास्ते में, वही औरत और बच्चा मिलता हैं, जो उससे लिफ्ट मांगता है । विकास दुर्भाग्य बस अपने गाड़ी को उनके पास रोक देता है, और उन्हें अपने गाड़ी में बैठा लेता है । थोड़ी दूर जाने के बाद ही, विजय का गाड़ी पूरी तरह से, अपना कंट्रोल खो देता है और एक पेर से जाकर टकरा जाता है । जिससे विजय की वही मौके पर ही मृत्यु हो जाती है । उसे गाड़ी से वह औरत और बच्चा उतर जाता है और उस सुनसान रास्ते पर अपने अगले शिकार का इंतजार करने लगता है ।



आप लोगों को क्या लगता है दोस्तों, उसे ब्रह्मराक्षस ने सच में आयुष को मौत के घाट उतार दिया है या यह एक सिर्फ छलावा विजय के लिए बनाया गया था, जिससे उसके किए गए धोखे का सजा मिल सके ।

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