horror story in Hindi : झोपड़ी - new horror story 2024
झोपड़ी, डर और सन्नाटा से भरपूर एक डरावनी हॉरर स्टोरी है । जो आपके रोंगटे तक खड़े कर देंगे । यह हिंदी में पढ़ने के लिए best Horror Story है ।
horror story in Hindi : झोपड़ी - new horror story 2024
horror story in Hindi : झोपड़ी , जबलपुर गांव के एक छोटी से गांव की स्टोरी है । जबलपुर में एक गर्भवती लड़की की अकाल मृत्यु हो जाती है । इसके बाद वह लड़की जबलपुर में, मौत का ऐसा तांडव करती है जिससे वहां के रहने वाले लोगों की रूह कांप जाती है । वे लोग चाह कर भी आकांक्षा का वह भयावह चेहरा नहीं भूल पा रहे थे । यह हिंदी में पढ़ने के लिए best Horror Story है । इसलिए दोस्तों स्टोरी को लास्ट तक जरूर पढे यह कहानी पूरी तरह से, डर और सन्नाटा से भरपूर है ।
जबलपुर गांव में चारों तरफ हलचल मच रही थी, सभी ओर दीप जल रहे होते हैं सिवाय, एक झोपड़ी को छोड़कर । उसी रास्ते से अभिषेक अपने दोस्त कार्तिक के साथ, अपने गांव के मंदिर जा रहा था क्योंकि, गांव के सभी लोग का ऐसा मानना था की, दीपावली के दिन सभी लोगों को मंदिर पर दीप जलना चाहिए । यह परंपरा उनके गांव में वर्षों से चली आ रही थी । तभी अचानक अभिषेक का नजर शोर गुल से दूर, उस झोपड़ी में पड़ा । अभिषेक उस झोपड़ी को देखने के बाद पूरी तरह से शौक हो जाता है क्योंकि दूसरी तरफ गांव के सभी लोग हर्षोल्लास के साथ, घरों में दीप जला रहे थे और खुशियां मना रहे थे । वह झोपड़ी पूरी तरह से सन्नाटे और अंधेरे से लिप्त होती है । थोड़ी देर कुछ सोचने के बाद, अभिषेक धीरे-धीरे उस झोपड़ी की तरफ बढ़ने लगता है। क्योंकि वह उस झोपड़ी के रहस्य से अनजान था । अपने हाथ में रखें दो दिये को अभिषेक उस झोपड़ी के दरवाजे पर रख देता है । तभी अचानक एक तेज हवा का झोंका, उन दीये को बुझा देता है । यह देखने के बाद अभिषेक पूरी तरह से शौक हो जाता है । क्योंकि वहां के आसपास के वातावरण में, इतनी तेज हवा भी नहीं चल रही थी, जिससे वह दीप बुझ जाए । दूसरी तरफ जैसे ही कार्तिक, अभिषेक को उस झोपड़ी के पास देखता है । वह तेजी से आता है और अभिषेक के हाथो को पकड़कर जोर से खींचते हुए उस झोपड़ी से दूर ले जाता है । परंतु अभिषेक, कार्तिक के इस व्यवहार से काफी गुस्सा हो जाता है और उसे कहने लगता है । इतने तेजी से खींचने की क्या जरूरत था, मैंने तो सिर्फ दिया ही, उस झोपड़ी के पास रखा था और देख रहे हो, वह दिया भी बुझ गया, छोड़ो मेरा हाथ । मैं उस दिये को एक बार और जला कर आता हु । अभिषेक का इतना बात सुनने के बाद, कार्तिक भी गुस्से में उस डांटने लगता है और कहता है । मैंने तुम्हें पहले ही कहा था, मेरे से पूछे बिना कुछ भी नहीं करना । तुम शहर से कल ही आए हो, तुम्हें गांव के माहौल के बारे में कुछ भी पता है । ठाकुर और गर्भवती आकांक्षा के दुश्मनी के बारे में, कार्तिक इतना बोलने के बाद पूरी तरह से छुप जाता है, वह अपने बातों को पूरा भी नहीं करता है । कार्तिक के बातों को सुनने के बाद, ऐसा लग रहा था मानो उसके मुंह से कोई राज कि बात निकल गया है । जिसे वह अभिषेक को नहीं बताना चाहता था । प्ररंतु अभिषेक, कार्तिक की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है और एक बार फिर से उस झोपड़ी की तरफ बढ़ने लगता है । तभी, अचानक उसे झोपड़ी के पास एक गर्भवती औरत खड़ी दिखती है । जो फटे पुराने कपड़े पहनी हुई होती है और एक बड़ा सा घूंघट अपने चेहरे पर रखी हुई होती है । जिसे देखने के बाद, अभिषेक वहीं पर रुक जाता है तभी अचानक, हवा के एक तेज झोका के कारण, उस औरत के चेहरे से उसका घूंघट हट जाता है । जिसके वजह से उस औरत का उसका असली चेहरा, अभिषेक के सामने आ जाता है । देखते ही देखते वह औरत एक कंकाल में तब्दील हो जाती है । जिसे देखने के बाद, अभिषेक के पैरों तले जमीन खिसक जाती है । इसके बाद अभिषेक का तबीयत बिगरने लगता है । कार्तिक जैसे तैसे करके उसे घर लाता है ।
कार्तिक, अभिषेक के परिवार वाले को कुछ नहीं कहता है और उसे बेडरूम में सुला कर, वह अपने घर चला जाता है। रात के कुछ घंटे तो जैसे तैसे करके अभिषेक गुजार लेता है परंतु, जैसे ही घड़ी का सुई, 12:00 पर जाता है । अचानक अभिषेक को ऐसा एहसास होता है, मानो उसके दरवाजे के बाहर कोई खड़ा हो और उसके नाम को पुकार रहा हो । पहले तो अभिषेक को लगता है शायद, कार्तिक होगा जो किसी काम से उसे पुकार रहा होगा । अभिषेक बिना कुछ सोचे समझे अपने घर के बाहर आ जाता है, घर के बाहर उसे कोई भी नहीं दिखाई देता है, वह काफी देर तक अपने घर के चारों तरफ किसी को खोजने की कोशिश करता है । अभिषेक थक हारकर वापस अपने घर की तरफ जाने लगता है, तभी अचानक एक मधुर आवाज आती है, ‘अभिषेक मैं यहां हूं, मुझे छोड़कर तुम कहां जा रहे हो’ अभिषेक इतनी मधुर आवाज सुनकर पूरी तरह से दंग रह जाता है । क्योंकि यह आवाज कोई लड़की की होती है । अभिषेक जैसे ही पीछे की तरफ मुड़ता है उसके सामने, एक काफी सुंदर लड़की खड़ी होती है, ऐसा लग रहा था मानो आसमान से कोई परी उतरी हो । उस लड़की की सुंदरता देखने के बाद, अभिषेक उसकी तरफ आकर्षित होने लगता है । वह लड़की धीरे-धीरे, मंदिर वाले रास्ते की तरफ बढ़ने लगती है । अभिषेक भी चुपचाप उसके पीछे-पीछे जाने लगता है । ऐसा लग रहा था मानो अभिषेक उस लड़की के, वश में हो । उस अंधेरी रात में, रोड पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा होता है, चारों तरफ घना अंधेरा होता है । थोड़ी देर में ही, वह लड़की उस झोपड़ी के पास पहुंच जाती है, जहां अभिषेक ने दीया रखा था । वह लड़की उस झोपड़ी के अंदर चली जाती है । इसके बाद वह इशारे से अभिषेक को उस झोपड़ी के अंदर आने को कहती है । अभिषेक भी धीरे-धीरे, उस झोपड़ी के अंदर जाने लगता है । तभी अचानक, पास के मंदिर की घंटी रहस्यमय तरीके से जोर-जोर से बजने लगती है । जिसके वजह से अभिषेक का ध्यान मंदिर की तरफ चला जाता है । वह जैसे ही उस मंदिर को देखता है, वह पूरी तरह से दंग हो जाता है । वह मनी ही मन सोचने लगता है, आखिर वह कैसे इतनी रात में यहां पर आ गया । अभिषेक इतना सोच ही रहा होता है तभी अचानक उसका नजर झोपड़ी के अंदर बैठी उस लड़की के ऊपर जाता है । जिसे देखने के बाद, वह बुरी तरह से डर जाता है । डर के वजह से वह थोड़ी देर में ही पसीने से भीग जाता है क्योंकि वह लड़की और कोई नहीं, झोपड़ी वाली गर्भवती औरत थी । अभिषेक कुछ कर पाता, इससे पहले ही, वह गर्भवती औरत अपने झोपड़ी से निकलकर अभिषेक के ऊपर हमला करने लगती है, जिसके वजह से अभिषेक चिखते-चिल्लाते, वहां से भागना शुरू कर देता है वह जैसे ही अपने गांव के अंदर आने वाला होता है ।
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उसका पैर एक लकड़ी से टकरा जाता है, जिसके वजह से वह वहीं पर गिरकर बेहोश हो जाता है । दूसरी तरफ गांव वालों को जैसे ही अभिषेक की चीख सुनाई देती है, वे लोग मंदिर की तरफ आने लगते हैं । थोड़ी देर में ही वे लोग अभिषेक के पास पहुंच जाते हैं । गांव वाले जैसे तैसे करके अभिषेक को वापस गांव लाते हैं । अभिषेक को थोड़ी देर में ही, होश आ जाता है परंतु, वह उस औरत से इतना ज्यादा डर चुका था कि, उसे चारों तरफ वही औरत दिखाई दे रही होती है । काफी देर के बाद अभिषेक का वह डर खत्म हुआ । इसके बाद अभिषेक, कार्तिक से उसे औरत के बारे में पूछने लगता है, आखिर वह औरत है कौन, जो उस बार-बार दिखाई दे रही है । पहले तो कार्तिक, अभिषेक को उस औरत के बारे में बताने से मना कर देता है परंतु अभिषेक के बार-बार जिद करने के बाद, कार्तिक को बताने के लिए हामी भर देता है और कहने लगता है,10 साल पहले आकांक्षा के मृत्यु के बाद इस सब की शुरुआत हुई थी । जिस पर अभिषेक कहता है, परंतु आकांक्षा मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है । जिस पर कार्तिक, अभिषेक को कहता है तुम अकेले नहीं हो, जिसे आकांक्षा ने अपना शिकार बनाने की कोशिश किया है । इससे पहले भी वह कई लोगों को अपना शिकार बना चुकी है । यह बात सुनने के बाद अभिषेक के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । अभिषेक अपने कपकपाते ओठों से कहता है, आखिर वह ऐसा कर क्यों रही है ।
इसके बाद अभिषेक, उसे आकांक्षा की पुरी कहानी सुनाने लगता है । आकांक्षा काफी सुंदर थी, उसकी सुंदरता की वजह से, पहली नजर में ही लोग उसपर मोहित हो जाते थे। एक दिन गांव के जमींदार के बेटे की नजर उसपर पड़ी, वह भी आकांक्षा को देखते ही, उस पर मोहित हो गया । आकांक्षा से वह बेइंतेहा प्यार करने लगा । आकांक्षा भी धीरे-धीरे उस जमींदार के बेटे से प्यार करने लगी । परंतु अचानक, एक दिन आकांक्षा आती गई और जमींदार के बेटे राघव से कहती है, राघव अब हम लोग इस संबंध को और आगे नहीं बढ़ा सकते हैं । गांव के लोग हमारे इस संबंध को स्वीकार नहीं करेगे, कहां आप जमींदार के बेटे हैं और कहां मै एक किसान की बेटी हूं । आकांक्षा का इतना बात सुनने के बाद, राघव पूरी तरह से गुस्सा हो जाता है और कहने लगता है, मुझे फर्क नहीं पड़ता है। मेरा समाज क्या कहता है, और एक बात याद रखना मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकता । राघव का इतना बात सुनने के बाद, आकांक्षा, को भी धीरे-धीरे भरोसा होने लगा था । जिसके वजह से, वे लोग अपने संबंध को आगे बढ़ायें । धीरे-धीरे समय गुजरता गया और अचानक एक दिन आकांक्षा आई और राघव से कहने लगी, राघव तुम अब पिता बनने वाले हो । आकांक्षा का इतना बात सुनने के बाद, राघव पूरी तरह से गुस्सा हो गया और कहने लगा । दूसरे के पाप मेरे सर पर मत डालो, यह बच्चा मेरा नहीं हो सकता । वह भरे समाज में, आकांक्षा को बेइज्जत करता है । इसके बाद गांव के सभी लोग आकांक्षा को उस गांव से निकाल देते हैं ।
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इसके बाद अभिषेक, उसे आकांक्षा की पुरी कहानी सुनाने लगता है । आकांक्षा काफी सुंदर थी, उसकी सुंदरता की वजह से, पहली नजर में ही लोग उसपर मोहित हो जाते थे। एक दिन गांव के जमींदार के बेटे की नजर उसपर पड़ी, वह भी आकांक्षा को देखते ही, उस पर मोहित हो गया । आकांक्षा से वह बेइंतेहा प्यार करने लगा । आकांक्षा भी धीरे-धीरे उस जमींदार के बेटे से प्यार करने लगी । परंतु अचानक, एक दिन आकांक्षा आती गई और जमींदार के बेटे राघव से कहती है, राघव अब हम लोग इस संबंध को और आगे नहीं बढ़ा सकते हैं । गांव के लोग हमारे इस संबंध को स्वीकार नहीं करेगे, कहां आप जमींदार के बेटे हैं और कहां मै एक किसान की बेटी हूं । आकांक्षा का इतना बात सुनने के बाद, राघव पूरी तरह से गुस्सा हो जाता है और कहने लगता है, मुझे फर्क नहीं पड़ता है। मेरा समाज क्या कहता है, और एक बात याद रखना मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकता । राघव का इतना बात सुनने के बाद, आकांक्षा, को भी धीरे-धीरे भरोसा होने लगा था । जिसके वजह से, वे लोग अपने संबंध को आगे बढ़ायें । धीरे-धीरे समय गुजरता गया और अचानक एक दिन आकांक्षा आई और राघव से कहने लगी, राघव तुम अब पिता बनने वाले हो । आकांक्षा का इतना बात सुनने के बाद, राघव पूरी तरह से गुस्सा हो गया और कहने लगा । दूसरे के पाप मेरे सर पर मत डालो, यह बच्चा मेरा नहीं हो सकता । वह भरे समाज में, आकांक्षा को बेइज्जत करता है । इसके बाद गांव के सभी लोग आकांक्षा को उस गांव से निकाल देते हैं ।
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daravani horror story 2024 : रहस्यमई झोपड़ी - short Horror stories in hindi
आकांक्षा जैसे तैसे करके गांव के बाहर, अपने जीवन को गुजार रही थी परंतु, अकेलापन के कारण आकांक्षा का धीरे-धीरे मानसिक स्थिति खराब होने लगी । वह पागलों की तरह व्यवहार करने लगी । एक दिन आसमान में पूरी तरह से काला बादल छाया था, बारिश भी काफी तेज बरस रही थी और साथ ही बिजलिया भी चमक रही होती थी । तभी आकांक्षा एक बच्चे को जन्म दि । परंतु दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत था । जिसके वजह से आकांक्षा को काफी गहरा सदमा पहुंचा और वह उस झोपड़ी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । सुबह जब गांव के लोग उस झोपड़ी के पास गए तो, यह नजारा देखने के बाद वे लोग पूरी तरह से शौक रह जाते हैं परंतु कोई भी, आकांक्षा और उसके बच्चे का दाह संस्कार करने के लिए उसके लाश को नहीं ले गए । धीरे-धीरे समय गुजरता गया और आकांक्षा और उसके बच्चे की लाश एक कंकाल में बदल गई । जिसके बाद गांव में, सब कुछ सामान्य चल रहा था परंतु, जैसे ही आमावस्या की काली रात आई । उस काली रात के बाद, गांव के लोगों पर आकांक्षा का कहर बरसने लगा । क्योंकि गांव के लोगों को, आकांक्षा अपने भयावह रूप दिखने लगी थी । कभी अपने बच्चे के साथ, तो कभी गर्भावस्था में घूंघट में अपने चेहरे को छुपाकर । इसके बाद आकांक्षा धीरे-धीरे करके ठाकुर के परिवार के लोगों को, एक-एक करके मौत के घाट उतारने लगी । गांव के लोग भी ठाकुर के परिवार वालों का लाश देखकर पूरी तरह से कांप जाते थे, क्योंकि, ठाकुर के परिवार के लोगों को आकांक्षा काफी तड़पा तड़पा कर मारती थी, इस काली रात का अंत एक दिन ठाकुर के मौत के साथ खत्म हुई।
यह सारी बातें सुनने के बाद, अभिषेक के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । तभी एक बार फिर से अभिषेक, कार्तिक से कहता है तो आखिर क्यों आकांक्षा मेरे पीछे पड़ी हुई है । जिस पर कार्तिक पूरी तरह से चुप हो जाता है, ऐसा लग रहा था मानो वह कोई राज छुपा रहा हो । अभिषेक बार-बार आयुष को, उस राज के बारे में बताने के लिए कहता है । जिसके बाद कार्तिक बताता है, क्योकी उस ठाकुर परिवार का तुम अंतिम वंश । अभिषेक जैसे ही यह बात सुनता है उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है । क्योंकि उसे बताया गया था कि, उसके परिवार के लोगों का मौत एक एक्सीडेंट में हुआ था । अभिषेक यह सच्चाई जानने के बाद काफी दुखी होता है ।
इसके बाद अभिषेक को गांव के लोग, एक बार फिर से शहर जाने के लिए कहता हैं परंतु, अभिषेक शहर जाने से मना कर देता है और कहता है अगर मेरे परिवार के लोगों ने कोई गलती की गई है तो, उसके सजा का हकदार में बराबर हूं । इतना कहने के बाद, अभिषेक गांव में रहना शुरू कर देता है । काफी दिन गुजर जाते हैं परंतु अभिषेक के साथ, आकांक्षा कुछ नहीं करती है । ऐसा लग रहा था मानो अभिषेक के नेक दिल के कारण, आकांक्षा ने उसे माफ कर दिया हो ।
Note : यह डरावनी हॉरर स्टोरी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस स्टोरी का वास्तविक जीवन से कोई भी लेना-देना नहीं है, यह स्टोरी केवल मनोरंजन के लिए बनाया गया है ।
आकांक्षा जैसे तैसे करके गांव के बाहर, अपने जीवन को गुजार रही थी परंतु, अकेलापन के कारण आकांक्षा का धीरे-धीरे मानसिक स्थिति खराब होने लगी । वह पागलों की तरह व्यवहार करने लगी । एक दिन आसमान में पूरी तरह से काला बादल छाया था, बारिश भी काफी तेज बरस रही थी और साथ ही बिजलिया भी चमक रही होती थी । तभी आकांक्षा एक बच्चे को जन्म दि । परंतु दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत था । जिसके वजह से आकांक्षा को काफी गहरा सदमा पहुंचा और वह उस झोपड़ी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । सुबह जब गांव के लोग उस झोपड़ी के पास गए तो, यह नजारा देखने के बाद वे लोग पूरी तरह से शौक रह जाते हैं परंतु कोई भी, आकांक्षा और उसके बच्चे का दाह संस्कार करने के लिए उसके लाश को नहीं ले गए । धीरे-धीरे समय गुजरता गया और आकांक्षा और उसके बच्चे की लाश एक कंकाल में बदल गई । जिसके बाद गांव में, सब कुछ सामान्य चल रहा था परंतु, जैसे ही आमावस्या की काली रात आई । उस काली रात के बाद, गांव के लोगों पर आकांक्षा का कहर बरसने लगा । क्योंकि गांव के लोगों को, आकांक्षा अपने भयावह रूप दिखने लगी थी । कभी अपने बच्चे के साथ, तो कभी गर्भावस्था में घूंघट में अपने चेहरे को छुपाकर । इसके बाद आकांक्षा धीरे-धीरे करके ठाकुर के परिवार के लोगों को, एक-एक करके मौत के घाट उतारने लगी । गांव के लोग भी ठाकुर के परिवार वालों का लाश देखकर पूरी तरह से कांप जाते थे, क्योंकि, ठाकुर के परिवार के लोगों को आकांक्षा काफी तड़पा तड़पा कर मारती थी, इस काली रात का अंत एक दिन ठाकुर के मौत के साथ खत्म हुई।
यह सारी बातें सुनने के बाद, अभिषेक के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । तभी एक बार फिर से अभिषेक, कार्तिक से कहता है तो आखिर क्यों आकांक्षा मेरे पीछे पड़ी हुई है । जिस पर कार्तिक पूरी तरह से चुप हो जाता है, ऐसा लग रहा था मानो वह कोई राज छुपा रहा हो । अभिषेक बार-बार आयुष को, उस राज के बारे में बताने के लिए कहता है । जिसके बाद कार्तिक बताता है, क्योकी उस ठाकुर परिवार का तुम अंतिम वंश । अभिषेक जैसे ही यह बात सुनता है उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है । क्योंकि उसे बताया गया था कि, उसके परिवार के लोगों का मौत एक एक्सीडेंट में हुआ था । अभिषेक यह सच्चाई जानने के बाद काफी दुखी होता है ।
इसके बाद अभिषेक को गांव के लोग, एक बार फिर से शहर जाने के लिए कहता हैं परंतु, अभिषेक शहर जाने से मना कर देता है और कहता है अगर मेरे परिवार के लोगों ने कोई गलती की गई है तो, उसके सजा का हकदार में बराबर हूं । इतना कहने के बाद, अभिषेक गांव में रहना शुरू कर देता है । काफी दिन गुजर जाते हैं परंतु अभिषेक के साथ, आकांक्षा कुछ नहीं करती है । ऐसा लग रहा था मानो अभिषेक के नेक दिल के कारण, आकांक्षा ने उसे माफ कर दिया हो ।
Note : यह डरावनी हॉरर स्टोरी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस स्टोरी का वास्तविक जीवन से कोई भी लेना-देना नहीं है, यह स्टोरी केवल मनोरंजन के लिए बनाया गया है ।
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