Darawani horror story : शैतानी प्रेत आत्मा
शैतानी प्रेत आत्मा, एक darawani horror story है । इस स्टोरी में एक ऐसे, शैतानी प्रेत आत्मा के बारे में जानेंगे जो रात के सन्नाटे में लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है और उन लोगों का मौत के घाट उतार देती है ।
Darawani horror story : शैतानी प्रेत आत्मा
Darawani horror story : शैतानी प्रेत आत्मा : यह डरावनी हॉरर स्टोरी, विजय और साध्वी की है, वे लोग हाल फिलहाल में ही अपने पुश्तैनी घर आए होते हैं, उनके पुश्तैनी हवेली से कुछ ही दूरी पर, एक शैतानी कुएं था । जिसमें एक शैतानी प्रेत आत्मा रहती थी । वह शैतान साध्वी के जीवन को पुरा नर्क बना देती है ।
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Darawani horror story- शैतानी प्रेत आत्मा |
रात के सन्नाटे में विजय और साध्वी सो रहे होते है, तभी अचानक साध्वी को घर के बाहर से कुछ आहट सुनाई देती है, पहले तो साध्वी उस आहट को इग्नोर कर देती है, उसे लगता है, हो सकता है नई जगह पर शिफ्ट होने के कारण उसे ऐसा महसूस हो रहा हो । वैसे तो विजय और साध्वी शहर में ही रहा करते थे, परंतु हाल फिलहाल में ही, वे लोग गांव आए होते हैं । वह आहत धीरे-धीरे कम होने के बजाय बढ़ती जा रही होती है । जिससे साध्वी को नींद नहीं आ रही थी । पहले तो साध्वी सोचती है विजय को भी उठाकर वह उस आहट के बारे में बताएं । परंतु वह देखती है काफी थके होने के कारण, विजय गहरी नींद में होता है जिसके वजह से साध्वी अकेला ही उस आहट का पीछा करने का फैसला करती है । और रात के अंधेरे में धीरे-धीरे साध्वी दबे पांव, घर से बाहर आने लगती है । साध्वी जब बाहर आ रही होती है तो उसे उस अंधेरे से काफी डर लगने लगता है क्योंकि शहर में वह इस प्रकार का अंधेरा कभी नहीं देखी होती है । और वैसे भी गांव में कम ही बिजली रहती है, और उस समय भी बिजली नहीं होती है । जिससे वह आहत और भी ज्यादा खौफनाक लग रहा होता है । फिर भी किसी प्रकार से साध्वी अपने घर से बाहर आती है और उस आहट को ध्यान से सुनने कि कोशिश करती है । तभी उसे एहसास होता है वह आवाज कहीं और से नही पास के ही कुएं से आ रही है । अब साध्वी काफी देर तक घर के इधर-उधर देखती हैं परंतु वहां पर उसे कोई भी नहीं दिखाई देता है ।
निष्कर्ष : जिन भी लोगों को डर लगता है, उन लोग को अंधेरे में अकेले कभी नहीं जाना चाहिए परंतु जो लोग चाहते हैं अपने डर पर काबू करना तो, इस बात को समझ लें कि जितने हमारे आसपास नेगेटिव चीजे है उतने ही हमारे आसपास पॉजिटिव चीजे भी है । जो पॉजिटिव चीज हम लोगों के साथ, कभी भी कुछ गलत नहीं होने देंगे । परंतु इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है आप अपने डर पर काबू करें क्योंकि बिना आपको डर लगे वह नेगेटिव चीज कभी भी आपको हानि नहीं पहुंचा सकती है, इस बात को याद रखें । और डर कुछ भी नहीं आपके मन का केवल एक भ्रम है ।
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नोट : यह डरावनी हॉरर स्टोरी पूरी तरह से काल्पनिक है इस डरावनी हॉरर स्टोरी का वास्तविक जीवन से कोई भी लेना-देना नहीं है इस डरावनी हॉरर स्टोरी को केवल और केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से बनाया गया है ।
क्योंकि उस समय रात के 12:00 बज रहे होते हैं जिसके वजह से वहां के सभी लोग अपने घरों के अंदर सो रहे होते हैं । जिसके बाद साध्वी फैसला करती है कि, वह उस कुएं के अंदर जाकर देखेंगी आखिरकार उसे कुएं के अंदर है क्या । जो इस प्रकार की अजीबोगरीब आवाज निकाल रही है । यह सोचते हुए साध्वी धीरे-धीरे उस कुए की तरफ बढ़ने लगती है इस वक्त, साध्वी को वहां पर केवल वह अजीबोगरीब आवाज और कुत्तों की रोने की आवाज आ रही होती है । जैसे तैसे करते हुए साध्वी उस कुएं के पास पहुंचती है और झुक कर उस कुएं के अंदर देखने की कोशिश करती है कुएं के अंदर साध्वी को अंधेरे की गहराई के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता है । कुएं के अंदर साध्वी देख रही होती है, तभी उसे एहसास होता है, मानो उसके पीछे कोई खड़ी हो । साध्वी कुछ कर पाती से इससे पहले ही कोई उसके पीछे से, उसके कंधे पर हाथ रखता है । जिसके वजह से साध्वी काफी डर जाती है और अचानक कुएं के अंदर देखना छोड़, दूसरे तरफ पलटती है । साध्वी दूसरी तरफ देखती है तो वहां पर उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है परंतु दूर अंधेरे में एक चमकता हुआ लाल आंख दिखाई देता है, जिसे देखने के बाद पहले तो साध्वी काफी घबरा जाती है, परंतु अचानक साध्वी पूरी तरह से मौन हो जाती है । साध्वी का चेहरा और उसका हाथ, पाव किसी प्रकार का कोई भी मूवमेंट नहीं कर पा रही थी । हम देखते हैं कि साध्वी की आंखें भी अब धीरे-धीरे चमकीली लाल होनी शुरू हो गई है । इससे तो यह स्पष्ट था कि उस अंधेरे में जो कुछ भी था वह साध्वी के शरीर पर कब्जा कर लिया है । जिसके बाद साध्वी कुएं के पास बेहोश होकर गिर जाती है । साध्वी को उसे कुएं के पास पड़े हुए काफी घंटा गुजर जाती है । और जैसे ही सुबह होती है अचानक विजय देखता है साध्वी बिस्तर पर नहीं होती है, जिसके वजह से विजय घर के अंदर चारो ओर साध्वी को खोजना शुरू कर देती है । विजय को जब साध्वी घर के अंदर नहीं मिलती है तो वह घर के बाहर देखना शुरू कर देता है । तभी अचानक उसकी नजर कुएं के पास बेहोश पड़े साध्वी पर पड़ती है । साध्वी को वहां पर देख, विजय के होश उड़ जाते हैं विजय कुछ देर के लिए एक ही जगह पर जम जाता है ऐसा लग रहा था मानो कोई बड़ी मुसीबत टूट पड़ी हो । विजय का शरीर बुरी तरह से काप रहा था ।
अब धीरे-धीरे विजय साध्वी की तरफ बढ़ने लगता है । और धीरे से जाकर अपने हाथ को उसके धड़कन पर रखता है जिससे विजय को पता चलता है साध्वी बेहोश पड़ी है । इसके बाद किसी प्रकार से विजय साध्वी को घर के अंदर लाता है और उसे होश में लाने की कोशिश करता है । काफी देर के बाद साध्वी को होश आ जाती है जिसके बाद विजय, साध्वी से पूछने की कोशिश करता है, आखिर कैसे वह उस कुए के पास पहुंच गई । जिसका पहले तो साध्वी काफी देर तक कोई जवाब नहीं देती है, परंतु कुछ देर के बाद साध्वी विजय को बताती है घर के बाहर से उस कुछ अजीबोगरीब आहतें आ रही होती है जिसे देखने के लिए वह बाहर जाती है । और जैसे ही कुएं के पास जाती है, पीछे से कोई उसके कंधे पर हाथ रखता है जिसके बाद क्या हुआ, साध्वी को कुछ याद नहीं होता है । इन सारी बातों को सुनने के बाद विजय को लगता है, हो सकता है नए जगह पर शिफ्ट होने के कारण उसे ऐसा महसूस हुआ हो और थकान के कारण वह बेहोश हो गई हो । जिसके वजह से वह साध्वी को आराम करने के लिए कहता है । परंतु बातचीत के दौरान विजय एक बात नोटिस करता है कि साध्वी का हाव भाव पूरी तरह से बदल गया है । परंतु उस बात पर विजय अधिक ध्यान नहीं देता है और साध्वी को आराम करने के लिए। कहकर, वहां से चला जाता है । दोपहर में एक बार फिर से विजय नोटिस करता है, साध्वी आइने की तरफ खड़ी होकर आइने में किसी से बात कर रही हो । और जब विजय इस बारे में साध्वी से पुछता है तो साध्वी उसे कुछ भी बताने से मना कर देती है । जिससे विजय समझ जाता है साध्वी के साथ कुछ ना कुछ उसे रात अनहोनी हुई थी । उन सारी बातों को सोचते हुए, विजय एक बार फिर से रात् होने का इंतजार करने लगता है । और जैसे ही रात का अंधेरा होने लगता है । साध्वी धीरे-धीरे अपना रूप दिखाना शुरू कर देती है । उसकी आंखें धीरे-धीरे लाल होने लगती है । विजय चुपचाप बिस्तर पर पड़े इस कारनामे को देख रहा होता है । साध्वी काफी जोरों से अपने कान को दबाई होती है ऐसा लग रहा था मानो कोई उसे बुला रहा हो और वह वहा पर जाने से अपने आप को रोक रही हो । परंतु जैसे ही घड़ी का सुई रात के 12:00 पर जाती है अचानक साध्वी अपने शरीर से अपना आपा खो देती है और किसी शैतानी शक्ति या प्रेत के कब्जे में, धीरे-धीरे अपने घर से निकलने लगती है । साध्वी धीरे-धीरे उस कुएं के पास पहुंच जाती हैं, और हवा में किसी से बातें कर रही होती है और अचानक कुएं में चलांग लगा देती है ऐसा लग रहा था मानो, हवा में अदृश्य किसी प्रेत या शैतानी शक्ति ने उसे ऐसा करने के लिए कहा हो । विजय दुर खरा यह सारी खूनी मंजर को अपने आंखों से देख रहा होता है । और जैसे ही साध्वी उस कुएं के अंदर चलांग लगाती है। वह दौड़ते हुए कुएं के पास आ जाता है और गांव वालों से, मदद मांगने लगता है थोड़ी देर में ही गांव के सभी लोग इकट्ठे हो जाते हैं और किसी प्रकार से साध्वी को बाहर निकलते हैं बाहर निकालने के बाद भी साध्वी, उसी प्रेत के कब्जे में होती है वह बार-बार कुए के अंदर चलांग लगाने की कोशिश कर रही होती है, परंतु जैसे ही संजीव अपने पैकेट से शुद्ध गंगा जल साध्वी के शरीर पर लगता है वैसे ही साध्वी शांत हो जाती है और वह प्रेत भी साध्वी के शरीर को छोड़ देता है ।
निष्कर्ष : जिन भी लोगों को डर लगता है, उन लोग को अंधेरे में अकेले कभी नहीं जाना चाहिए परंतु जो लोग चाहते हैं अपने डर पर काबू करना तो, इस बात को समझ लें कि जितने हमारे आसपास नेगेटिव चीजे है उतने ही हमारे आसपास पॉजिटिव चीजे भी है । जो पॉजिटिव चीज हम लोगों के साथ, कभी भी कुछ गलत नहीं होने देंगे । परंतु इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है आप अपने डर पर काबू करें क्योंकि बिना आपको डर लगे वह नेगेटिव चीज कभी भी आपको हानि नहीं पहुंचा सकती है, इस बात को याद रखें । और डर कुछ भी नहीं आपके मन का केवल एक भ्रम है ।
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नोट : यह डरावनी हॉरर स्टोरी पूरी तरह से काल्पनिक है इस डरावनी हॉरर स्टोरी का वास्तविक जीवन से कोई भी लेना-देना नहीं है इस डरावनी हॉरर स्टोरी को केवल और केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से बनाया गया है ।
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