Daravani horror story : डिलीवरी बॉय


डिलीवरी बॉय : एक Daravani horror story है । मयंक एक दिन फूड की डिलीवरी के लिए सुनसान जंगल की ओर जाता है और कभी नहीं लौटता है ।


Daravani horror story : डिलीवरी बॉय


Daravani horror story : डिलीवरी बॉय : रहस्यो से भरपूर, यह Daravani horror story, मयंक नाम के एक डिलीवरी बॉय की है । जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, फूड डिलीवरी का काम किया करता है ।‌ एक दिन अचानक उसे, सुनसान जंगल से एक आर्डर आता है । जिसकी डिलीवरी के लिए वह उसे सुनसान जंगल में जाता है । उसके बाद मयंक रहस्यमई तरीके से कहीं गायब हो जाता है ।‌ आखिर उसके साथ हुआ क्या जानेंगे इस Daravani horror story में ।


Daravani horror story : डिलीवरी बॉय

Daravani horror story : डिलीवरी बॉय


यह डरावनी हॉरर स्टोरी, मयंक नाम के डिलीवरी बॉय की है । मयंक अपने पढ़ाई के साथ-साथ अपने खर्चे निकालने के लिए डिलीवरी का काम किया करता था । मयंक किसी प्रकार से अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने काम को भी मैनेज किया करता है । हर दिन की तरह मयंक आज भी फूड के डिलीवरी के लिए अपने घर से बाहर गया होता है और शहर के चारों तरफ जाकर अपने फूड के डिलीवरी कर रहा होता है । तभी अचानक उसे एक आर्डर आता है । उस ऑर्डर को देखने के बाद मयंक के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है क्योंकि वह आर्डर काफी एक्सपेंसिव था ।‌ जिसके वजह से उसे एक आर्डर के ही, अच्छे खासे पैसे मिल रहे होते हैं । परंतु, मयंक का यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिक पाता है ‌। वह जैसे ही उस ऑर्डर के एड्रेस को देखता है । वह पूरी तरह से शौक रह जाता है । क्योंकि इससे पहले मयंक ने, ऐसी जगह पर कभी भी फूड डिलीवरी नहीं किया होता है । वह लोकेशन शहर से काफी दूर, सुनसान जंगल की तरफ का होता है । मयंक थोड़ी देर वहीं पर रुककर, उस ऑर्डर के डिलीवरी के बारे में सोचने लगता है ।आखिर उसे इस आर्डर की डिलीवरी करनी है या नहीं ।‌ काफी देर सोचने के बाद मयंक यह फैसला करता है कि, वह इस फूड की डिलीवरी करेगा ।‌ क्योंकि उसे पैसे की सख्त जरूरत होती है साथ ही उसके पास समय भी बहुत कम होता है । जिससे एक डिलीवरी पर ही, ढेर सारे पैसे मिल जाएगे और साथ ही उसे पढ़ने के लिए और ज्यादा समय भी मिल जाएगा । इतना सोचने के बाद, वह उस फूड को लेकर, उस एड्रेस की तरफ निकल जाता है ।‌ सुनसान रास्ते पर गहरा अंधेरा छाया होता है । मयंक को दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा होता है । शिवाय अंधेरे के । काफी देर के सफर के बाद, मयंक को दूर एक झोपड़ी दिखाई देता है । मयंक झोपड़ी से थोड़ी दूर पर ही, वह अपनी बाइक खड़ी कर देता है और धीरे-धीरे उस झोपड़ी की तरफ बदने लगता है ।‌ मयंक उस झोपड़ी को देखने के बाद, पूरी तरह से हैरान होता है ।‌ क्योंकि उस झोपड़ी के पास, सिर्फ एक ही बल्ब काफी धीमी रोशनी में जल रही होती है । मयंक जब अपनी नजरों को चारों तरफ, घूमाता है तो वहां पर उसे दूर-दूर तक कोई भी घर नहीं दिखाई रहा होता है । उस सुनसान जंगल में केवल वह एक झोपड़ी होता है । मयंक के चेहरे पर डर का लकीर साफ-साफ दिखाई दे रहा होता है । झोपड़ी की तरफ बढ़ते हुए, मयंक के पैर डर के वजह से, लड़खड़ा रहे होते हैं । मयंक जैसे तैसे, उस झोपड़ी के दरवाजे तक पहुंच जाता है ।‌ दरवाजे पर जाने के बाद, मयंक धीरे-धीरे उस पर नौक करने लगता है । काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी, दरवाजे को कोई नहीं खोलता है । धीरे-धीरे मयंक का हिम्मत टूटने लगता है ।‌ परंतु अभी भी मयंक अपनी पूरा ध्यान उस दरवाजे की तरफ रखा होता है । तभी अचानक मयंक को अंधेरे से कुछ आहट आने लगती है, जिसके वजह से उसका ध्यान दरवाजे से हट जाता है और उसका ध्यान अपनी बाइक की तरफ आ जाता है ।‌ क्योंकि वह आहट बाइक की ओर से ही आ रही थी । मयंक काफी देर तक, उस आहट के पीछे का राज जानने की कोशिश करता है परंतु उसे वहां पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है । मयंक अपनी बाइक की तरफ देख ही रहा होता है । तभी अचानक, उसे उस झोपड़ी के अंदर से कुछ आहट आने लगती है । जिसके वजह से मयंक आगे की तरफ घूमने लगता है । मयंक का नजर जैसे ही दरवाजे के ऊपर पड़ता है वह पूरी तरह से शोक रह जाता है ।‌ क्योंकि दरवाजा अपने आप ही रहस्यमय तरीके से खुल चुका था । मयंक जब उसे झोपड़ी के अंदर झांक कर देखता है तो उस झोपड़ी के अंदर पूरी तरह से अंधेरा होता है । यह सब देखने के बाद मयंक का, डर के मारे पसीने टपकने लगता है । मयंक धीरे-धीरे अपने जेब से मोबाइल निकालता है और अपने मोबाइल का फ्लैशलाइट ऑन करता है ।‌ परंतु, दुर्भाग्य बस मयंक के फोन का फ्लैशलाइट भी डैमेज होता है, जिसके वजह से काफी कम रोशनी फ्लैशलाइट से आ रही होती है । मयंक उस थोड़ी रोशनी में ही धीरे-धीरे, उस झोपड़ी के अंदर जाने लगता है । डर के वजह से मयंक का धड़कन बढ़ रहा होता है ।‌ काफी देर ढूंढने के बाद भी, मयंक को उस घर के अंदर कोई भी नहीं मिलता है । जिससे मयंक को और ज्यादा भय लगने लगता है । तभी अचानक मयंक को दरवाजे पर कोई खड़ा दिखाई देता है जिसके हाथों में एक लालटेन होता है । मयंक का नजर जैसे उस आदमी पर पड़ता है । मयंक अपना आपा पूरी तरह से खो देता है । क्योंकि हाथ में लालटेन लिए हुए वह आदमी कुछ और नहीं बल्कि, एक शैतान होता है ।‌ उसकी आंखें पूरी तरह से अंधेरे में लाल चमक रहा होता है । पूरा शरीर काले कपड़े से ढका होता हैं ।



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मयंक अपनी जी जान लगाकर वहां से घने जंगल की तरफ भागना शुरू कर देता है । दरवाजे पर खड़ा वह शैतान भी मयंक का पीछा करना शुरू कर देता है ऐसा लग रहा था मानो, वह चिज मयंक के खून का प्यासा हो और मयंक को मौत के घाट उतारने के लिए उसका पीछा कर रहा हो । दूसरी तरफ मयंक उस शैतान से भागते भागते, घने जंगल के अंधेरे में कहीं खो जाता है । तभी अचानक, उस जंगल से हमें एक भयानक चिख सुनाई देती है । जो शायद मयंक की होती है मयंक के साथ आखिर उस घने जंगल में क्या हुआ, यह राज मयंक के साथ ही दफन हो जाती है ।‌



Note : यह Daravani horror story पूरी तरह से काल्पनिक है । इस हॉरर स्टोरी का वास्तविक जीवन से कोई भी लेना-देना नहीं है । कृपया कर इस डरावनी हॉरर स्टोरी को मनोरंजन की दृष्टि कौन से ही पढे है ।

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