भूतिया रेलवे स्टेशन | horror story in Hindi | daravani horror story |

भूतिया रेलवे स्टेशन | horror story in Hindi | daravani horror story |


 अंधेरे और सन्नाटे लिप्त एक स्टेशन के प्लेटफार्म पर, आदर्श खड़ा होता है । आदर्श घबराहट भरे नजरों से एक ट्रेन को देख रहा होता है‌ ।‌ आदर्श ट्रेन के तरफ देखते हुए, अपने आप से बातें कर रहा होता है । ये कहां फंस गया में, मुझे ट्रेन से उतरना ही नहीं चाहिए था ।‌ पता नहीं अब अगला ट्रेन कब आएगा । 


भूतिया रेलवे स्टेशन
भूतिया रेलवे स्टेशन

दरअसल उस रेलवे स्टेशन पर आदर्श,कुछ जरूरी समानो को खरीदने के लिए उतरा था परंतु, जब आदर्श को वह सामान वहां पर नहीं मिलता है तो, वह प्लेटफॉर्म से कुछ दूरी पर उस समान को लाने के लिए चला गया था और जब तक वहां वापस लौटता है तो वह ट्रेन जा चुकी होती है ।‌


अब आदर्श के पास, उस स्टेशन पर रूकने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं होता है । आदर्श डरते-डरते, उस प्लेटफार्म को एक्सप्लोर करने लगता है । आदर्श को अब थोड़ी देर में ही यह एहसास हो जाता है कि, उस स्टेशन पर उसके अलावा और कोई दूसरा आदमी नहीं है ।‌ अकेलेपन और सन्नाटे के वजह से, आदर्श के रोंगटे खड़े हो रहे होते हैं । उस प्लेटफार्म को एक्सप्लोर करने के दौरान, आदर्श की नजर जैसे ही प्लेटफार्म के ऊपर लगे घड़ी पर जाती है । वह थोड़ी देर के लिए पूरी तरह से सहम जाता है ।‌ क्योंकि घड़ी की सुई उल्टी दिशा में चल रही होती है ।‌ इन सारी चीजों को देखने के बाद आदर्श समझ जाता है कि, वह एक भूतिया रेलवे स्टेशन पर फंस चुका है ।‌ इसके बाद आदर्श, खामोशी के साथ उस प्लेटफार्म के एक कोने में जाकर बैठ जाता है । अब उस प्लेटफार्म पर रहने वाले अदृश्य शैतानी शक्तियां जागृत हो गई होती है और वे शैतानी शक्तियां अब अपना कहर दिखानी शुरू करती है । आदर्श को यह बार-बार महसूस हो रहा था मानो कुछ अजीब परछाइयां बार-बार उसके बगल से गुजर रही हैं । सब कुछ जानते हुए भी, आदर्श जितना हो सके इन सारी चीजों को इग्नोर करने की कोशिश करने लगता है । वैसे तो आदर्श के चेहरे पर केवल खामोशी नजर आ रही थी, परंतु अंदर 
ही अंदर आदर्श भय के वजह से बुरी तरह काप रहा होता है । 

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तभी अचानक दूर से आ रही ट्रेन की आवाज की वजह से, आदर्श के चेहरे पर रौनक आ जाती है । वह काफी उत्सुकता के साथ उठता है और प्लेटफार्म के किनारे पर खड़ा होकर, ट्रेन को देखने लगता है ।‌ थोड़ी देर में ही ट्रेन प्लेटफार्म पर आ जाता है । पहले तो आदर्श, ट्रेन के डब्बों का हाल देखने के बाद थोड़ा आश्चर्यचकित होता है क्योंकि ट्रेन के डब्बे काफी पुराने और टूटे फूटे हुए होते है ।‌ परंतु आदर्श यह बात सोचते हुए इन सारी चीजों को इग्नोर कर देता है कि, इस भूतिया रेलवे स्टेशन पर रहने से अच्छा तो, इस ट्रेन से चल जाना ही ठीक है । इतना सब सोचते के बाद, आदर्श काफी उत्सुकता के साथ उस ट्रेन के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगता है । परंतु जैसे ही उस ट्रेन का दरवाजा खुलता है, आदर्श के चेहरे पर एक बार फिर से खामोशी छा जाती है क्योंकि उसे ट्रेन के अंदर लोग नहीं बल्कि, कुछ अजीब परछाइयां बैठी हुई होती है। उन अजीब परछाइयां के चेहरे के ऊपर, गहरे चोटों के निशान होता हैं । इन सारी चीजों को देखने के बाद, ऐसा लग रहा था मानो उस ट्रेन का काफी भयानक एक्सीडेंट हुआ है ।‌ उस ट्रेन से उतरने वाली, परछाइयां धिरे धिरे आदर्श की तरफ बढ़ने लगती है ।‌ आदर्श अपने कांपते हुए कदमों से, वहां से भागने लगता है ।‌ आदर्श उस रेलवे स्टेशन से भागने की काफी कोशिश करता है परंतु अब वह रेलवे स्टेशन, एक भूल भुलैया में बदल गया होता है । आदर्श अलग-अलग रास्तों से, उस रेलवे स्टेशन से निकलने की कोशिश करता है परंतु, बार-बार आदर्श उसी ट्रेन के पास पहुंच जाता था । आदर्श को अब यह बात समझ में आ जाता है कि वह एक ऐसे भूल भुलैया फस चुका है जिससे निकलपाना नामुमकिन है ।‌ आदर्श थक हारकर, उस ट्रेन के अंदर चढ़ जाता है । ट्रेन के अंदर जाते ही, वे सारे अजीब परछाइयां आदर्श के ऊपर हमला कर देती है । 

 तभी अचानक आदर्श चिखते हुए ट्रेन के सीट से उठता है, वह पसीने से बुरी तरह लथपथ होता है । आदर्श के इस हरकत की वजह से ट्रेन में बैठे सभी लोग, आदर्श को ही देख रहे होते हैं । आदर्श भी ट्रेन में बैठे सभी लोगों को काफी गौर से देख रहा होता है । 
थोड़ी देर में ही आदर्श को यह बात समझ में आ जाता है कि यह सारी रहस्यमई घटनाएं, केवल एक डरावना सपना था जो वह ट्रेन से सफर करने के दौरान देख रहा था । 
परंतु उस डरावने सपने की वजह से, आदर्श डर-डर के अपने सफ़र को पूरा करता है और साथ ही, किसी भी रेलवे स्टेशन पर उतरने से पहले 100 बार सोचता है । 
सच में दोस्तों कुछ डरावने सपने, हमारे रूह तक को कपा देती है क्या आपने इस प्रकार की कोई डरावनी सपना देखे है कमेंट कर अपनी स्टोरी हमे जरूर बताएं ।‌


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